अभी कुछ दिनोँ पहले एक स्कूल देखने का अवसर बना । यह स्कूल छोटे से ग्राम में है ज्यादातर बच्चे ग्राम के ही है । यह एक स्कूल है जो मुंबई के किसी सम्रद्ध व्यक्ति का है । जो पुरे मन से इस स्कूल को चलाते है । बहुत दिनोँ में ऐसा स्कूल देखने का अवसर बना जिसमे व्यक्ति कि पूरी निष्ठां बच्चो को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ देने की है । स्कूल से उनका कोई आर्थिक लाभ का आशय नहीं नज़र आया बल्कि जो जानकारी मिली उस अनुसार हर बार कुछ धन उन्हें लगाना ही होता है। हालाँकि उनसे मिलना नहीं हो सका।
स्कूल में कुछ बच्चो से बात हुई। प्रिंसिपल जी द्वारा रविवार का दिन होने से सिर्फ हॉस्टल के बच्चे चर्चा में बुलाये गए थे । हम सभी का चर्चा में उत्साह बना । क्लास ८-१० के बालक-बालिका थे। एक excercise के दौरान जब यह पूछा गया की वह सब बड़े होकर कैसे जीना चाहते है । क्या उनकी आवश्यकता है ? तब करीब ५० की क्लास में जवाब यह आया की वह
engineer-25
CA-6
Soldier-5
Doctor-8
Farmer-3
Businessman -3
बनना चाहते है । जवाब इतने त्वरित थे लगा की बच्चो ने तय कर रखा है की उनकी आवश्यकता क्या है और वह कैसे पूरी हो जाएगी ।
लगा की जो समाज के पास है वो ही समाज शिक्षा में व्यवस्था में परिवार में दोस्तों में टीवी में दे रहा है दिखा रहा है । मानव की आवश्यकता समझी नहीं गई इसीलिए समझाई नहीं जा पा रही है। हम सब अपनी वास्तविक आवश्यकताओ से कम में जीने का प्रयास कर रहे है। ऐसा जीते हुआ न स्वयं तृप्त होते है न ही समाज / परिवार तृप्त होता दिखाई पड़ता है
बच्चो से थोड़ी सी चर्चा करने पर सभी को लगने लगा की हमारी लिस्ट छोटी है उसे समृद्ध करना होगी । इस थोड़े से प्रयास में एक पूरा कार्यक्रम जीने का निकलने लगा । यह भी लगा की सब अपनी आवश्यकता को देखने लग सकते थोडा सा ध्यान दिलाने की जरूरत हो सकती है।
समय अभाव के कारन चर्चा अधूरी रही क्योंकि कल उनकी परीक्षा भी थी।
मानवीय चेतना अनुसार मेरी आवश्यकता दो प्रकार की है।
1-- कुछ सामान की है {Material need} : जैसे की खाना, कपडा , घर , कुछ छोटे मोटे साधन -- यह सब मेरे शरीर के लिए आवश्यक है। उसे उपयोगी व स्वस्थ्य रखने के लिए ।
२------------ to be continued.
This center is working to ensure right understanding, right behavior, right work at individual level that means SAMADHAN,SAMRIDHI for human being. MCVK is working on the basis of SAH ASTITVA PRINCIPAL Propounded by respected shri A Nagraj ji of Amarkantak, MP, India.
Tuesday, September 28, 2010
हमारी आवश्यकता क्या है ?
Subscribe to:
Posts (Atom)